अरमान पूरे करते जाओ

सूरज कुमार साहू ‘नील` भोपाल (मध्यप्रदेश) ***************************************************************** रुको रुको अपने अरमान पूरे करते जाओl न चाहते हुए भी फरमान पूरे करते जाओl चाहिए क्या ये तो बता दो सुना नहीं मैंने, अच्छा ये कहते हो सम्मान पूरे करते जाओl कौन-सी किताब पढ़ें जो तुम्हें समझ सके, मालूम नहीं वो अधूरे ज्ञान पूरे करते जाओl कहा … Read more

रिश्ते-नाते

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** संबंधों के इस आँगन में,क्या तेरा क्या मेरा है, रिश्तों के पावन दामन में,छाया द्वेष घनेरा हैl जिसको हमने हमदम माना,भाई अरि सम बैठ गया, देख मांग सिन्दुर वधू का,पोंछ वही तो जेठ गयाl दो कौड़ी में बिकती दुनिया,नाते सब बेकार हुए, सिर्फ दिखाऊ मेजबान हम,रिश्ते सब व्यापार हुएl भरे पेटियां … Read more

प्यासी-प्यासी है अँखियाँ

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* काली घटा छाई मन में,प्यासी-प्यासी है अँखियाँ, यादें आकर रास रचाती बनकर के मेरी सखियाँ। घुमड़-घुमड़ कर भाव-बादल आते मेरे अंतर्मन में, पिया ने अभी तक न देखी अपनी दुखियारी दुखिया। पथ देख आँखें पथराती मन अति व्याकुल होता, जब न पाती में अपने प्रियतम की प्यारी चिठियाँ। रिमझिम-रिमझिम वर्षा … Read more

माँ और मैं

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** मेरे सर पे दुआओं का घना साया है, ख़ुदा जन्नत से धरती पे उतर आया है। फ़कीरी में मुझे पैदा किया,पाला भी। अमीरी में लगा मुँह-पेट पे,ताला भी। रखा हूँ पाल,घर में शौक से कुत्ते,पर, हुआ छोटा बहुत माँ के लिए,मेरा घर। छलकती आँख के आँसू,छुपा जाती है, फटे आँचल … Read more

भारत खंडन को तुले

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** भोजन जल शिक्षा दवा,चाहिए सब निःशुल्क। वतन विमुख नेतागिरी,तोड़ो अपना मुल्क॥ चिथड़ों में लिपटे हुए,शीत ताप बरसात। लावारिस की जिंदगी,कोटि-कोटि दिन-रात॥ दिवास्वप्न शिक्षा यहाँ,भूख वसन बिन गेह। इनकी चिन्ता है किसे,मुफ़्तखोर बस ध्येय॥ धन कुबेर शिक्षा सुलभ,मुफ़्त मिला आवास। भोजन पानी सब मिले,चढ़े शान आकाश॥ राजनीति चौसर बने,अब … Read more

मैं माँ हूँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** माँ हूँ मैं ममता की मूरत, आओ गले लगाऊँ मैं दिया जन्म निज दूध पिला कर, जीवन पथिक बनाऊँ मैं। नेह सलिल स्नान कराकर, आचार वसन पहनाऊँ मैं नीति-रीति का लेप लगाकर, पूत गात्र चमकाऊँ मैं। बनूँ ढाल विघ्नों के पथ पर, वात्सल्य खड्ग अरि दमन करुँ श्रान्त … Read more

हो गया अवसान

देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार)  ************************************************************* वैरागी सन्यासी को जो हर पल कहता है शैतान, वही चीरहरण करने बन के बैठा है भगवान। सत्ता में कुर्सी के लिए नोच लिया नैतिकता को, ज्ञान के सूरज का लगता अब हो गया अवसान। सोच का सागर सूखा है आर्यावर्त के आँचल से, वरदान नहीं,अभिशाप बना पग-पग पर … Read more

मोहरा

अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* नियति बड़ी क्रूर होती है, मनुज बँधा नियति के हाथ, सारे यत्न व्यर्थ हो जाते, भाग्य नहीं जब होता साथ। बिन ब्याही माँ जन्म दे गयी, कह ना पायी पर वो पूत, खून रगों में था क्षत्रिय का, जीवन भर कहलाया सूत। राज मिला भारी कीमत पर, गिरवीं रखना … Read more

वो बचपन की याद फिर आयी

रूपेश कुमार सिवान(बिहार)  ******************************************************** वो बचपन की यादें फिर याद आयी, ज़हाँ चिड़ियों की चहचहाहट रही चाँदनी खेतों में खिलखिलाती रही रोशनी, भँवरों में मुस्कुराहट भरी है। वो बचपन की यादें फिर याद आयी… सूर्य की किरणें चमकता ही रहता है, पेड़ों में फल लदा ही रहता है चिड़ियों में गूँज गूंजता ही रहता है, … Read more

नन्हा-सा एक बालक

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. नन्हा-सा एक बालक हूँ हाथ पकड़ कर चलता हूँ, पीछे कभी न मुड़ता हूँ आगे पथ पर चलता हूँ। बात-बात पर लड़ता हूँ फिर भी साथ में रहता हूँ, मिल-बांट कर खाता हूँ विद्यालय समय से जाता हूँ। औरों से मतभेद नहीं पिजरा हमें पसंद नहीं, … Read more