अभिनंदन करते तुमको

विजयलक्ष्मी जांगिड़ ‘विजया’  जयपुर(राजस्थान) ***************************************************************** अभिनन्दन करते तुमको, चक्रव्यूह में खड़े अकेले। हम वन्दन करते तुमको, अभिमन्यु से लड़े अकेले। भेद रावण की कलुषित लंका, हनुमान तुम जय,अकेले। अंगद से,जा भिड़े अडिग, काल सम्मुख रहे,अकेले। हिला नहीं पाया दुश्मन, देश हित तन-मन जीवन। धन्य तुम,माँ की आशा को, पिता के तेज को धर आए। शत्रु … Read more

जी चाहता है

मनोरमा जोशी ‘मनु’  इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** सहे जुल्म जिसने सदियों से अब तक, उनको उबारो,यह जी चाहता है। करते रहे आदिशक्ति की पूजा मगर मातृशक्ति कुंठित रही है। हुआ नहीं मान भूलकर भी, नारी आज भी व्याकुल विवश हो रही है। तड़पती तिरस्कृत है आज ममता, उसे अपनाने को जी चाहता है। दुर्गा लक्ष्मी अहिल्या सीता, … Read more

नारी तेरी अमर कहानी

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** जो समझो तो कविता हो, बूझो तो अमर कहानी हो। नारी तुम त्याग समर्पण, करती बलिदान जवानी हो। नारी!तुम श्रद्धा समर्पण जीवन, सृष्टि जीवन गढ़ती कहानी हो। आँचल में दूध आँखों में पानी, सृष्टि जीवन की तुम कहानी हो। नारी! तुम अब नहीं रही अबला, समानता युग की तुम … Read more

तू ही तू

सुषमा दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ****************************************************** धीर है तू सत्य है तू खौलता उफान है, तू अर्चना आराधना तू भक्ति का वरदान है। प्रचंड तू अखंड भी तू ही शक्तिमान है, भैरवी कानुप्रिय तू विश्व का गुणगान है। रौद्र रूप रच सके तू ऐसा एक तूफान है, तू गंगा-सी पवित्र है समुद्र-सी विशाल है। तू रागिनी तू … Read more

ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति

प्रणिता राकेश सेठिया ‘परी’ रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************************************* ईश्वर ने बनाई ये विराट सृष्टि, जीवंत किया फिर ये संसार। सोचा-समझा फिर महसूस किया, कहाँ है इसमें निस्वार्थ प्यार…? अपने पाक उन्नत विचारों से बनाई, एक विशाल-सी हसीन क्यारी। निर्मित हो उठी एक मूरत और, फिर नाम रखा उसका नारी। जिस लय से कार्यरत है दिनभर, प्रकृति की … Read more

कन्हैया

रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’ दिल्ली(भारत) ************************************************************ श्याम ऐसे बसो मेरे मन में, कोई ढूँढ सके ना तुझे हममें। श्याम ऐसे बसो…॥ जैसे समुन्दर में मोती होते हैं, पर नज़र किसी को ना आते हैं। श्याम ऐसे बसो…॥ जैसे श्याम बसे मेरे मन में, पर नजर ना आते जन-जन में। श्याम ऐसे बसो…॥ जैसे दिलों … Read more

जब ज़मीर शरमाया मेरा

संजय गुप्ता  ‘देवेश’  उदयपुर(राजस्थान) ********************************************************************* कोई दो कदम तो साथ रहे मेरे भी, इस उम्मीद में खोजता रहा वह चेहरा। संग चलने को मेरे जो तैयार हुआ, वह फकत साथ था साया ही मेरा। रात को दस्तक दी,सपने में जिसने, दिन में वही शख्स था भुलाया मेरा। छोड़ के दामन मेरा,दूर हुआ मुझसे, वह था … Read more

अर्थहीन पुरुषत्व धरा पर

कैलाश भावसार  बड़ौद (मध्यप्रदेश) ************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… अर्थहीन पुरुषत्व धरा पर,यदि साथ नहीं नारी है, नहीं अर्थ जग की माया का,भले संपदा सारी है। अर्धनारी ईश्वर बन शिव में,माँ गौरा ही समाई है, विष्णु प्रिया लक्ष्मी माता,समृद्धि लेकर आई है। शक्ति स्वरूपा ने जगदीश्वर,की सत्ता ही संवारी है, अर्थहीन पुरुषत्व…॥ धन्य तुम्हारा … Read more

नारी-भारत माँ की मूरत

शिवम् सिंह सिसौदियाअश्रु ग्वालियर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… नारी मैंने तो तुझमें भारत माँ की मूरत देखी थी, सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा सीता की सूरत देखी थी। मैंने था तुझको प्रेम किया,था मैंने तुझको माँ माना, तुझको ही लक्ष्मीबाई,पद्मावती,धाय पन्ना जाना। तूने ही दाँत किये थे खट्टे,दुश्मन के-अँग्रेजों के, आज बनी मखमली फूल,बिस्तर युवकों … Read more

औरत

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… आसमां से जो उतर आई धरा पर, सूर्य की पहली किरण का तेज हो तुम। बादलों की गोद से जो बून्द सागर में गिरी, सीप से निकला हुआ मोती हो तुम॥ और जब बहारें झूम के आईं चमन में, गुल भी हो काँटा भी … Read more