मस्तक ऊँचा रहे तुम्हारा

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हे भारती पुत्रों, तुम्हारे संग आशीष सदा रहेगा हमारा,करते रहो राष्ट्र हित का कार्य, मस्तक ऊॅ॑चा होगा हमारा। हे भारती तुम्हारे अनेक भाई, सीमा में प्राण…

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संजय वर्मा ‘दृष्टि’ और बोधन राम निषादराज ‘विनायक’ बने विजेता

स्पर्धा-परिणाम... इंदौर(मप्र)। साहित्य अकादमी मप्र से अभा पुरस्कृत-सम्मानित लोकप्रिय मंच हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा जून माह में 'जीना जैसे पिता' विषय पर ६९ वीं स्पर्धा आयोजित की गई। इसमें…

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स्थापना दिवस पर हुई शानदार रचनाओं की प्रस्तुति

मुम्बई (महाराष्ट्र)। सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच का ३० वां स्थापना दिवस २१ जुलाई की सायं से रात्रि तक गूगल मीट पर आयोजित किया गया। इसमें लगभग ६७ लोगों की उपस्थिति…

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हर-हर महादेव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* आदिपुरुष तुम, पूरणकर्ता, शिव, शंकर, महादेव।नंदीश्वर तुम, एकलिंग तुम, हो देवों के देव॥ तुम फलदायी, सबके स्वामी, तुम हो दयानिधान,जीवन महके हर पल मेरा, दो ऐसा…

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झड़ी लगी ज्यों सावन की

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** पावन सावन-मन का आंगन... नीर नयन से बहते मेरे, झड़ी लगी ज्यों सावन की।ऐसा लगता है प्रिय मुझको, बीते घड़ी सुहावन की॥ प्रियतम अब तो आ भी…

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सावन की फुहार

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* नित जीवन में छाई बहार आई सावन की फुहार,रिमझिम-रिमझिम बूंदों के संग आई सावन की फुहार। पहली बारिश की फुहार से खिल उठा घर आँगन,छम-छम करती…

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मुकदमों के बोझ से जटिल होता जीवन

ललित गर्गदिल्ली************************************** लोकतंत्र के ४ स्तंभों में से १ न्याय पालिका इन दिनों काफी दबाव में है। उस पर मुकदमों का अंबार लगा हुआ है। देश के सर्वोच्च न्यायालय से…

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हो जाए पुलकित तन-मन

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** पावन सावन, मन का आँगन... उर सागर से लेकर जल,नैना जो बरसाए सावनहो जाए पुलकित तन-मन,भीग जाए मन का आँगन। हे मही, तू क्यों इतराया,जब जग में…

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दिल को भिगा रहे

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया- भिगा, गिरा, सता, बना, निभा, दिखा इत्यादि; रदीफ़-रहे, २२१ २१२१ २२२१ २१२ बरसात, बनके मिल गए, दिल को भिगा रहे।उनके खयाल, आँख से बूंदें…

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सोच उत्तम रहे

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** धैर्य, संयम और परिश्रम से,सुन्दर सोच का आगाज़ होउन्नति और प्रगति पथ पर,आगे बढ़ने के लिएइस रस्म को लेकर,न कहीं विवाद हो। उत्तम सोच हमें बड़ा बनाती है,अपने मुकाम…

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