कोयल कूके
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** कोयल कूके जब अमुवा पर, मन भौंरा इठलाता है। पिया मिलन की मधुरिम बेला, राग प्रीत के गाता है॥ अमराई की सुन्दर छाया, जहाँ खेल हमने खेला। रंग बसन्ती पुरवाई में, खुशियों का लगता मेला॥ वही सुहाना मौसम अब है, याद बहुत अब आता है। कोयल कूके जब … Read more