ऋतुराज

वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* गीत गुनगुनाये सांझ ढलते-ढलते मंद ध्वनि तरंगें। खिला गुल-गुलशन खुशबू बिखरी मंद मौसम हुआ मलन्द। भीगी यादें कुछ मन तरंगों में भूली-सी बातें। बरखा महकी धरा उन्मुक्त घिरा गगन सुखद पुरवाई हरीतिमा। परिचय: वन्दना पुणतांबेकर का स्थाई निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। इनका जन्म स्थान ग्वालियर(म.प्र.)और जन्म तारीख ५ सितम्बर … Read more

जीना सीखो

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** जीवन को तुम जीना सीखो,हर पल खुशी मनाओ जी। चाहे कितने संकट आये,कभी नहीं घबराओ जी॥ सिक्के के दो पहलू होते,सुख-दु:ख आनी-जानी है। कभी खुशी तो गम भी आते,सबकी यही कहानी है॥ होना नहीं उदास कभी भी,गीत खुशी के गाओ जी। चाहे कितने संकट आये,कभी नहीं घबराओ जी॥ … Read more

बरसात

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** धरा की देख बैचेनी,पवन सौगात ले लाया, तपी थी धूप में धरती,गगन बरसात ले आया। घटा घनघोर है छाई,लगे पागल हुआ बादल- सजाकर बूंद बारिश की,चमन बारात ले आया॥ फ़ुहारों ने जमीं चूमी,हुई पुलकित धरा सारी, बहारों को ख़िलाकर के,हुई पुष्पित धरा सारी। खिले हैं बाग वन-उपवन,लगे ज्यूँ गात … Read more

डोली

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** (रचनाशिल्प:१६,११-२७ मात्रिक) जीवन में आने वाली है,मधुमय मधुर बहार। अगर सुरक्षित पहुँचा देंगे,डोली सहित कहार॥ घर से बाहर तक रिश्तों की,गूँज रही चीत्कार। काश मुझे बचपन में मिलते,मनु जैसे संस्कार॥ नाना जैसा साथी मिलता,तात्या गुरु पतवार। राज पेशवा-सा मिल जाता,मुझको गर परिवार॥ इस डोली का आँचल भी तब,हो जाता निस्सार। … Read more

पुष्प

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** हे पुष्प! सौंदर्य तुम्हारा है अतुलित। सुंदरता के संग सुगंध है मधुरितll पंखुड़ियों के रंग बहुत सुंदर होते। लाल गुलाबी श्वेत वर्ण के दल होतेll काँटों से मिलकर सौंदर्य बिखेर रहे। मित्र भाव से पौधे को सहेज रहेll काँटों में ले जन्म और पालन कंटक। फिर खिलकर सौंदर्य-गंध फैलाये जगll … Read more

नारी

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* नारी प्रथम गुरु है सृष्टि उससे शुरू है सृष्टा की आद्या सृष्टि है स्त्री का मान कीजिए। नारी है देवी का रूप नारी के है नाना रूप वात्सल्य का सागर है इसे मान दीजिए। नारी जगत जननी नारी संताप हरणी नारी सहनशीला है उसे मान दीजिये। नारी शक्ति नारी भक्ति … Read more

तपती धरती

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** तपती धरती आज,सभी से कहती देखो। जल की प्यासी आज,तड़पती हूँ मैं देखोll जंगल-जंगल आग,धधकती चौतरफा है। धुआं आग के ताप,से प्राणी हांफ रहा हैll जल बिन धरती सूख,तड़पते सारे प्राणी। वृक्ष,वनस्पति,फूल,सिसकते पानी-पानीll अंबर ज्वाला बरस,धधकती ज्वाला धरती। नीर बिना भू तरस-तरस कर आज चटकतीll माटी का कण आज,कोसता है … Read more

काश!

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’  कोटा(राजस्थान) **************************************************************** काश! प्यार करने वाले मोम के बने होते, पिघल कर एक दूसरे में मिले तो होते, काश! सदा एक ही डाली के फूल होते, काँटों के बीच गुस्ताखी से खिले तो होते, काश! तोड़ देते जमाने की बेदर्द बेड़ियां, पत्थरों से कठोर दिल कुछ हिले तो होते, काश! ना होती … Read more

सुधर जाओ वरना,सब पछताएंगे

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* पानी की मची है त्राहि पृथ्वी भी है गरमाई, शुद्ध पर्यावरण हो तब ही जी पाएंगेll मिट गई हरियाली जंगल हो गए खाली, वन्य प्राणियों के लिए जंगल बचाएंगेll प्रदूषण कम करें जीवन में श्रम करें, पर्यावरण के लिए वृक्षों को लगाएंगेll जल पवन शुद्ध हो न धरा ताप वृद्ध … Read more

गाँव मनोरम

कैलाश झा ‘किंकर’ खगड़िया (बिहार) ************************************************************************************ गाँव मनोरम दृश्य लिये नित, स्वच्छ हवा-जल पूरित होता। दूध,दही,मछली नित माखन, गेह अनाज विभूषित होता। खेत-पथार सुशोभित गामक, बात-विचार न दूषित होता। बाग-बगान हँसे निशि-वासर ग्राम-प्रधान सुपूजित होता। पश्चिम में सरिता नद-निर्झर, उत्तर में मधु वृक्ष लगायो। दक्षिण में कृषि योग्य धरा पर, धान,गहूम,चना उपजायो। पोखर एक बड़ा … Read more