शरण न जाने कहां पाए तन…
सुबोध कुमार शर्मा शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष……….. जीवन का यह कटु परिवर्तन, विवशता कर रही नग्न नर्तन। सब-कुछ ना चाह कर भी त्यागा, और त्यागे सब घर के बर्तनl शरण न जाने कहां पाए तन, अनिश्चित-सा रहता व्याकुल मन। सब-कुछ होने पर भी उर तरसे, छोड़ दिया सब जब अपना धन। शरणार्थी हो … Read more