दलों की सत्ता लोलुपता और नैतिकता को तिलांजलि

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़(हरियाणा) *********************************************************************** नैतिकता तो पहले ही राजनीति में गायब होती जा रही थी,अब सत्तालोलुपता में दिल्ली विधानसभा के चुनाव में प्रचार में मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ…

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गणतंत्र का बदलता स्वरूप

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़(हरियाणा) *********************************************************************** अब हमें ७१वें गणतंत्र दिवस पर इस बात का गहनता से विचार करना है कि आज तक कितना स्वरूप बदला,बदला भी है,तो दिशा सकारात्मक है…

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एकता और नागरिकता

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़(हरियाणा) *********************************************************************** लगभग डेढ़ माह से पूरे देश में नागरिकता पर चर्चा,प्रदर्शन,आंदोलन,हिंसा,आरोप-प्रत्यारोप के कारण नकारात्मकता का इतना विषैला वातावरण हो रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने चिंता…

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समय हूँ,तूफान हूँ

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़(हरियाणा) *********************************************************************** मैं समय हूँ, मैं प्रलय हूँ रोकना मुझको कठिन है, टोकना मुझको कठिन है आता हूँ,जब मौज़ चाहे, जाता हूँ,जब मौज़ चाहे मोड़ना मुझको कठिन…

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सजा में सालों लग जाएं तो विश्वास डगमगाएगा ही

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़(हरियाणा) *********************************************************************** सुबह जैसे ही टी.वी. खोलते ही लोगों ने हैदराबाद के चारों बलात्कारियों के मुठभेड़ में मारे जाने का समाचार सुना,तो पूरे देश में खुशी व…

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धारा ही बदल गई

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़(हरियाणा) *********************************************************************** न जाने क्यों,मालूम नहीं, रिटायर्ड आदमी को ही हर कोई बेकार में,बेकार-सा ही समझता है। कामकाजी इंसान भी उससे दूर भागता है, क्योंकि,वह हर समय…

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मुस्कुराते बच्चे प्रफुल्लित राष्ट्र की पहचान

राजकुमार जैन ‘राजन’ आकोला (राजस्थान) ****************************************************** बालक के जन्म के साथ ही अभिभावक अपने बच्चों के लिए ऐसा तिलिस्म बुनने लगते हैं,जिसमें बालक इस तरह गिर जाता है कि चाह कर…

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टीस

राजकुमार अरोड़ा ‘गाइड’ बहादुरगढ़(हरियाणा) *********************************************************************** रिश्ते अब रिश्ते नहीं,रिसते हो गये,रिस-रिस कर देते हैं टीस, सदस्य घर में दो हों या पांच,नहीं बची अब रिश्तों में पहले जैसी आँचl दूरियाँ…

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रिश्तों की गरिमा क्यों खो रही है ?

राजकुमार जैन ‘राजन’ आकोला (राजस्थान) ****************************************************** रिश्ते या सम्बन्ध भारतीय जीवन के केन्द्र में रहे हैं,और लोग उन्हीं को जीने में अपना जीवन मानते रहे हैं। रिश्तों का बंधन बड़ा सुहावना…

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वाह री राजनीति…

राज कुमार चंद्रा ‘राज’ जान्जगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़) *************************************************************************** वाह री राजनीति,गजब खेल दिखाती है, दुश्मन को दोस्त और दोस्त को दुश्मन बनाती हैl सत्ता का लालच,पद की चाह है, जिधर मतलब…

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