हिन्दी है जन-जन की भाषा

राजेश पुरोहित झालावाड़(राजस्थान) **************************************************** महात्मा गांधी ने कहा था “हृदय की कोई भाषा नहीं है। हृदय से हृदय बातचीत करता है,और हिंदी ह्रदय की भाषा है।” हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी,ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय को १४ सितम्बर १८४९ को लिया गया था। हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित-प्रचारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा … Read more

धरा-चालीसा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दोहा- धरा धर्म हित कर्म कर,जीवन मनुज सुधार। संरक्षण भू का किए,भव जीवन आधारll चौपाई- प्रथम नमन करता हे गजमुख। वीणापाणी शारद मम सुखll गुरु पद कमल नमन गौरीसा। आज लिखूँ धरती चालीसाll नमन धरा हित कोटि हमारा। जिस पर गुजरे जीवन साराll मात समान धरा आचरनी। धरा हेतु हो जीवन … Read more

दोहा छंद विधान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* आओ दोहा सीख लें,शारद माँ चितलाय। सीख छंद दोहा रचें,श्रेष्ठ सृजन हो जायll ग्यारह तेरह मात्रिका,दो चरणों में आय। चार चरण का छंद है,दोहा सुघड़ कहायll प्रथम तीसरे चरण में,तेरह मात्रा आय। दूजे चौथे में गिनो,ये ग्यारह रह जायll चौबिस मात्रिक छंद है,कुल अड़तालिस होय। सुन्दर दोहे जो लिखे,सत साहित्यिक जोयll … Read more

सतगुरु नमन

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* शिक्षक दिवस विशेष……….. जिसने मेरे तन-मन में, ज्ञान का दीप जलाया है। वशिष्ठ-सा बन के गुरु, मुझे राम-सा शिष्य बनाया है। उनकी कृपा से पाया मैंने, विद्या का अनमोल रतन- उस सतगुरू को करता हूँ नमन। बार-बार नमन,शत बार नमन, उस सतगुरु को को करता हूँ हजार नमन॥ जिसने निज … Read more

अध्यापक,शिक्षक और गुरु

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’ जयपुर (राजस्थान) ***************************************************** प्रायः अध्यापकों को यह शिकायत करते हुए सुनता हूँ कि छात्रों का उनके प्रति प्राचीन काल की भाँति सम्मान का भाव नहीं रहा। छात्र अब अनुशासित नहीं रहते,उनसे बहस करते हैं,उनके आदेशों की अनुपालना नहीं करते इत्यादि!! हाँ,यह सत्य है कि अध्यापक-छात्र के मध्य संबंधों में यह परिवर्तन अवश्य … Read more

जरूरी है

मोनिका शर्मा मुंबई(महाराष्ट्र) ***************************************************************** मुकम्मल नहीं होती सबको खुशियाँ इसलिए दुखी रहना भी जरूरी है, दिन के उजाले के साथ-साथ… निशा का अंधकार भी जरूरी है। घमंड ज्यादा हो तो ठोकर लगनी भी जरूरी है, सपनों के साथ-साथ… हक़ीक़त की पहचान भी जरूरी है। अच्छे वक़्त की चाह के लिए बुरे वक़्त का होना भी … Read more

धरती

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (विशेष चिन्ह ‘…..’ से प्रदर्शित शब्द धरती के पर्यायवाची हैं।) धारण करती है सदा,जल थल का संसार। जननी जैसे पालती,धरती जीवन धारll भूमि उर्वरा देश की,उपजे वीर सपूत। भारत माँ सम्मान हित,हो कुर्बान अकूतll पृथ्वी,पर्यावरण की,रक्षा कर इन्सान। बिगड़ेगा यदि संतुलन,जीवन खतरे जानll धरा हमारी मातु सम,हम है इसके लाल। रीत … Read more

सकारात्मक चिंतन और रचनात्मक व्यवहार

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* जीवन में सकारात्मक चिंतन और रचनात्मक व्यवहार से बड़ी से बड़ी विपरीत परिस्थितियों पर भी काबू पाया जा सकता हैl सकारात्मक चिंतन हमारी दुविधाओं को रूई जैसा हल्का बना देता है। रचनात्मक व्यवहार हमें कभी निष्फल नहीं होने देता। जिसके पास रचनात्मक व्यवहार की तकनीक है,उसे और तकनीक की … Read more

सूना रहता सारा थल

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* कितने वृक्ष लगाये जाते हैं प्रतिपल, फिर भी हरियाली को रहती है हलचल। फाइलों में वृक्षों के आँकड़े बढ़ते जाते- फिर भी वृक्षों से सुना रहता सारा थल। कब मानव इस झूठ को सत्य करेगा, लगे वृक्षों की मन से उनकी रक्षा करेगा। जल संकट जो छाया जीवन में सबके- … Read more

कैसे हो बरसात शह्र में…

बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’ अहमदाबाद (गुजरात) ********************************************************************* है धुंध-धुंआ-गर्द की सौगात शह्र में। कितने बुरे हैं देखिये हालात शह्र में। क्यों खून से हैं लथपथ अखबार आजकल, क्या मर गये हैं लोगों के ज़ज्बात शह्र में। हैं पीठ पर निशाँ कई खंज़र के आज भी, कुछ दोस्त ने दिए थे जो सौगात शह्र में। पत्थर के … Read more