जीवनधारा बनी तुम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** अभिलाषा मन फुर्सत के पल,रहूँ साथ हमदम साथी बनरूप निहारूँ नज़र उतारूँ,प्रेम सरित कर लूँ अवगाहन। कैसे बीते अठ्ठाइस बरस,जीवन स्वर्णिम तन-मन अर्पणहर खुशियाँ…

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नदिया

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* शिव मस्तक पर बस रही, निर्मल नदिया धार।पापों को हरती सदा, पाते जीवन सार॥ नदियों के तट पर बसे, खुशियाँ पाते लोग।बहती निर्मल धार तो, करते पूजन…

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एक बल और एक भरोसा

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)************************************************** घटित हुई घटनाओं पर, ना करना खड़े सवाल,अपने पवित्र विचारों का, रखना हरदम ख्याल। विघ्नों के आने से कभी, जीवन चक्र ना रुकेगा,निश्चय बुद्धि वाला, किसी…

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प्रेम स्पर्श

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ पलक बांध,नयन सजलमन विकल,हृदय निश्छलप्रयास विफल। दृष्टि धूप,अधर ऊष्णवाणी शीतल,चाँद धवल। चाँदनी चंचल,कहीं सरलकहीं विरल,सी हो गई। प्रेम स्पर्श जो,मिला तुम्हारादेखो कितनी,हलचल-सी।तन-मन में,हो गई॥ परिचय-वंदना जैन की जन्म…

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करें विसर्जन

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** सृजनकर्ता का करें सर्जनवासना का करें विसर्जन,प्राण-प्रतिष्ठा कर मूरत कीसर्जनकर्ता करें विसर्जन। भिक्षु मांग रहा भिक्षा दर भिक्षु केकि 'मैं भिक्षुक' यह घोषणा कर भिक्षु से,यहां परिस्थितियों,…

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हलचल

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** मन का मौसम,आज सुहाना हैशिकायत करना तो,एक बहाना है। दिल में हलचल मची है,खुशियाँ पाने कीहर कोई आज,इसी का दीवाना है। याद आने लगा है,गुजरा हुआ पलपुलकित…

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छोड़ दो श्याम बंसी बजाना

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* अब छोड़ दे श्याम बंसी बजाना,पनघट पर जाकर गीत गुनगुनानाबंसी की धुन से सबको बुलाना,अब छोड़ दो श्याम दिल लगाना। छोड़ दो हे श्याम सबको फंसाना,आधी-आधी…

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मन का मिला खजाना

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ आज मौसम बड़ा सुहाना है,मन को मन का मिला खजाना है। पुल के नीचे जो काटते थे दिन,उनको अपना मिला ठिकाना है। मन में है दर्द तो दुखी…

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मन ठहरा, मन बहता

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* मन ठहरे जाता कभी, बहे कभी ये जात।मनवा बड़ा विचित्र है, कभी देत आघात॥ मन की गति भी तीव्र है, किसके बस की बात।स्वामी इन्द्रिय का…

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मीठी-सी उलझन

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** हृदय-पटल तू खोल प्रिय,मन-मौसम बड़ा सुहाना हैउजड़ चुके हैं जो ख्वाब,आज मुझे सजाना है। अब चाहे तुम, जैसे रंग लो,अपने दामन में भर लोरोम-रोम पुलकित हो जाए,प्रेम…

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