जीवनधारा बनी तुम
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** अभिलाषा मन फुर्सत के पल,रहूँ साथ हमदम साथी बनरूप निहारूँ नज़र उतारूँ,प्रेम सरित कर लूँ अवगाहन। कैसे बीते अठ्ठाइस बरस,जीवन स्वर्णिम तन-मन अर्पणहर खुशियाँ…