विनती करते भगवान यही

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचनाशिल्प:दुर्मिल सवैया छंद २४ वर्णों में ८ सगणों (।।ऽ) से सुसज्जित होता है,जिसमें १२,१२ वर्णों पर यति का प्रयोग किया जाता है। अन्त सम तुकान्त ललितान्त्यानुप्रास…

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मौसम सुहाना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* प्रीति ने जब कुछ कहा,मौसम सुहाना हो गया,संत का भी दिल खिला,वह भी दिवाना हो गया।लग रहा मधुमास प्रिय,अनुगीत दिल को भा रहे-प्रेम का जल…

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हिंद देश की हिंदी भाषा

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* हिंद देश की हिंदी भाषा,जन-जन का आधार है।मुखरित होता है जब हिय से,दे सुंदर सत्कार है॥ शोभित होती मुख से जिनके,हिंदी भाषा शान से,मान-प्रतिष्ठा मिले सदा…

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कैसा खेल कान्हा…!

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** रोज सुबह आना,शाम ढले जाना,कैसा खेल कान्हा,ये कैसा खेल कान्हा। तेरी मधुर मुस्कान,जीना हमें सिखाये,भोली तेरी सूरत,प्रभु छवि दिखलायेंजो तुम नहीं आते,दिल डूब-डूब जाता,आँखों से…

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तृप्ति

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* तृप्ति अद्भुत भाव,पंच इंद्रियों सेमस्तिष्क को संदेश,होता अनुभवतृप्ति या अतृप्ति का..! अनेक तृष्णाओं का,जनकतृप्ति के लिएहोता संघर्ष,पिपासा बुझती कहाँ..? फिर भी,जब इच्छा होती पूरीतृप्ति जगती…

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मेरे अरमान

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** न जाने क्यों मेरे अरमान सोने लगे हैं,मुश्किलों के दौर बेलगाम होने लगे हैं। खौफ के मन्जर नज़र आते हैं मुझको,न जाने क्यूं लोग बेईमान होने लगे…

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सभी दिलों की मुहब्बत…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** सभी दिलों की मुहब्बत,मैं दिल में रखता हूँ।दिलों में दर है खुदा का,सभी से कहता हूँ। ये एक देन है कुदरत की मैं यही…

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तो पत्थर जनाब हम भी हैं!

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** सवाल आप हैं गर तो जवाब हम भी हैं,हैं ईंट आप तो पत्थर जनाब हम भी हैं। शरीफ़ हम हैं शरीफ़ों के वास्ते साहब,जो हो खराब…

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जन्नत की सैर

संजय जैन ‘बीना’मुंबई(महाराष्ट्र)******************************************* पूनम की रात में,प्रीतम के साथ मेंनिकले हैं दोनों,जन्नत की सैर परदेखकर राधा कृष्ण,जैसी जोड़ी कोअप्सराएं बरसाने लगी फूल। देखो वसुन्धरा ने धरा पर,बिखेर दिए मोतीकोई कंकड़…

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डगर

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** जीवन की डगर पर कितने ही,पतझड़ औ बसन्त देखे हमने। जीवन की डगर कांटों से भरी,कुछ फूलों-सी सुरभित पाईपत्थर ही मिले राहों में अधिक,ठोकर ही हमने बहुधा खाई।…

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