रिश्ते-नाते
राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** संबंधों के इस आँगन में,क्या तेरा क्या मेरा है, रिश्तों के पावन दामन में,छाया द्वेष घनेरा हैl जिसको हमने हमदम माना,भाई अरि सम बैठ गया, देख मांग सिन्दुर वधू का,पोंछ वही तो जेठ गयाl दो कौड़ी में बिकती दुनिया,नाते सब बेकार हुए, सिर्फ दिखाऊ मेजबान हम,रिश्ते सब व्यापार हुएl भरे पेटियां … Read more