मेरे शब्द बन जाते हैं मीत

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ मेरा हर शब्द मुझसे एक रिश्ता बनाता है,मेरे शब्द-कभी रूठते हैं,कभी मान जाते हैंकुछ शब्द हो जाते हैं-माँ जैसे कोमल,कुछ बन जाते हैं-पिता की भांति कठोर,गहन…

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भविष्य निर्माता उत्पीड़न व शोषण के शिकार

वन्दना शर्मा’वृन्दा’अजमेर (राजस्थान) ***************************************** निजी विद्यालयों में भारतवर्ष का ७० फीसदी से अधिक भविष्य तैयार हो रहा है और उसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है निजी शिक्षक। निजी विद्यालय खोलने वाले…

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मेरी साँझ

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ सांझ,तन्हाई और मैं,यह नीला आसमानरोशनदान पर बैठी गौरैया,आँगन से धीरे-धीरेघाम का खिसकना।उसके जाने के बाद,कुम्हलाई-सी कनेर,कुमुदिनीपीपल के पीछे,छुपता हुआ सूरजहाथ में एक कप चाय।घरौंदे में बजता…

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रंगरेज

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… 'समय' अपनी गति में,तेजी से आगे बढ़ रहा था, और साथ मे मेरी ट्रैन भी। 'गुड़िया' को अपने सीने से…

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सैनिक की पत्नी का बसन्त

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष ….. दूर कहीं सीमा पर जब तुम होते हो,मन मेरा बसन्ती हवा बन तुम्हारे पास चला जाता।प्रिये,तेरे संग हर क्षण,हर पल…बसन्त के…

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पतंग की डोर

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. नीलगगन में फिरती इतराती,पल-पल अपना मार्ग बदलतीकभी उड़ती,कभी गिरती,कभी सम्भल कर,थम जाती।कभी किसी को काटती,कभी खुद कट जाती हैपक्षी-सी लहराती,कभी सहारे,कभी बिना…

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दीपावली से जग हो सुंदर

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)********************************************* दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. आओ सब मिल दहलीज पर एकदीया जलाएं,दिया हो विश्वास का,आस काचलो फिर एक बार…सुख,सम्पदा की अलख जगाएं।आओ सब दीया… जन-जन का हो…

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अक्सर खोजती हूँ

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)********************************************* देखती हूँ कभी-कभी जब इस दुनिया को,ना जाने क्या-क्या सोचती हूँहो जब नीला-नीला अम्बर,तब मैं अक्सर चाँद को खोजती हूँ। जब-जब छाए काली घटाएं,तब मैं अक़्सर…

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अब वो बात कहाँ

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)***************************************************************** 'अब वो बात कहाँ…तुम अपने 'पिता'-से मजबूत कहाँ ?मैं अपनी 'माँ'-सी सुघड़ कहाँ ?सुबह होती है,रात ढलती है,तुम बदले,कुछ हम बदलेअब वो पहले जैसा दौर कहाँ…

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मैं मज़दूर बोल रहा हूँ…

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)***************************************************************** आज चारों ओर मेरे ही नाम का शोर है,मेरे प्रति शाब्दिक संवेदनशीलता सोशल मीडिया पर गूँज रही है,सिर्फ मोबाइल की काला पर्दा ही नहीं,आपके घरों दीवारों…

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