काली बनकर आओ…

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** `दिशा` काली बनकर आओ ना, पाप बढ़ा है पवित्र धरा पर  आकर तुम ही इसे मिटाओ ना,  `दिशा` काली बनकर आओ ना।    पापियों का संहार…

0 Comments

क्यों मैं समझती रही

मौसमी चंद्रा पटना(बिहार) ************************************************************************ तुम हमेशा वैसे ही थे जैसे आज हो, क्यों मैं समझती रही तुम अलग हो। मैंने तुम्हें हमेशा ही दिखाये फूलों से लदे हरे-भरे पेड़, तुमने…

0 Comments

हम ही गुनहगार हैं

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना............ हाँ,जन्म से पहले, तुम्हारा परिचय था तो सिर्फ नारी की कोख से था जिसमें तुम पल रहे थे, भ्रूण बन कर। जन्म के…

0 Comments

न्याय चाहिए

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना................. कितनी निर्भया कितनी बालिकाएं, कितनी प्रियंका कितनी नन्हीं जान। न्याय माँगे बेटियाँ माताओं की आन, सुधार तत्परता सजा की है…

0 Comments

हूँ खुशकिस्मत `अध्यापक` हूँ…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’ बूंदी (राजस्थान) ****************************************************************** हूँ खुशकिस्मत अध्यापक हूँ, है कार्यक्षेत्र मेरा अध्यापन। ज्ञान की अलख जगाने को ही, है मेरा सब समराथन। अज्ञान लोक यह जीवन…

0 Comments

ये कैसी दरिन्दगी है

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र देवास (मध्यप्रदेश) ******************************************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना.......... ये कैसी दरिन्दगी है, ये कैसी हैवानियत। शर्मशार हो गई, आज इंसानियत। फूलों-सी कोमल, नाज़ुक-सी कली माँ-बाबू के, नाज़ों-नखरों में पली।…

0 Comments

दोस्त हाथ बढ़ाना रे

पुष्कर कुमार ‘भारती’ अररिया (बिहार) ********************************************************** दोस्त जरा हाथ बढ़ाना रे, जरा तू साथ निभाना रे ऊंच-नीच का भेद-भाव, छोड़ के गले मिलना रे। दोस्ती है हमारी तेरी, जन्म-जन्मान्तर की…

0 Comments

संहार करेगी

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** हैदराबाद घटना-विशेष रचना.............. कुचल डालो सर उसका,जिसने भी दुष्कर्म किया, मसल डालो धड़ उसका,जिसने भी यह कर्म किया। नहीं क्षमा ना दो संरक्षण,ना मज़हब…

0 Comments

मैं हवस का कौर क्यों..

राजेश पड़िहार प्रतापगढ़(राजस्थान) *********************************************************** हैदराबाद घटना-विशेष रचना............ क्या कहो अपराध मेरा,मैं हवस का कौर क्यों, चीखती सित्कारती मैं,सुन न पाते शोर क्यों ? जब मरी नवयौवना,उदगार उसने यह कहे, मानते…

0 Comments

बेहतर दानव है आज मानव से

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** आए दिन यह दुर्घटनाएँ, इतनी नीचता! समझ ना पाए। वह भी ऐसे दौर में जब, सब मनमर्जी चलती है। फिर भी जबरदस्ती यह कैसी!…

0 Comments