अस्तित्व की खोज में

डॉ. सुरेश जी. पत्तार ‘सौरभ बागलकोट (कर्नाटक)  ************************************************************************* नजर चुराते, किनारहीन जीवन सागर में छोटी-बड़ी लहरों से टकराते, आकस्मिक ज्वार-भाटों से डरते। आकलन से परे गहराई के डर से, अष्ट…

0 Comments

भूल मत जाना

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** भूल गई हो या भुला दिया है, याद नहीं रहा याद करना वक्त बदला है तुम न बदलो, याद है याद कर लेना। जो चाहत दिल…

0 Comments

आज के रावण

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* आज के रावण खुल्ला घूमते, गलियों और चौबारों में। छाये रहते हर दिन देखो, देश के सब अखबारों में। रावण तो तब साधु वेश…

0 Comments

सुबह की पहली किरण

रूपेश कुमार सिवान(बिहार)  ******************************************************** सुबह की पहली किरण, हमें नई रोशनी है दिखाती जीवन का नया रास्ता है दिखाती, मन और तन में नया जोश जगाती जीवन को नया उजाला…

0 Comments

गगन

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** सितारों ने महफिल सजाई गगन पर, रहा चाँद तन्हा सदा ही गगन पर। बने बादलों के भी मंजर कई, मगर तन्हा सूरज भी…

0 Comments

नटखट गोपाल

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** भोला-भाला तेरा लाल जैसे हो गिरधर गोपाल, आँगन में करता है कमाल... संभाल यशोदा अपना लाल। नटखट बहुत सयाना है माखन चोर बेगाना है, हाथ न…

0 Comments

चाहिए है समझना बराबर

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** (रचनाशिल्प:वज़्न-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-१२२-फऊलुन×८) बड़ी बात ये है कि फुटपाथ में जो उन्हें चाहिए है समझना बराबर। तक़ाजा यही हो न उनसे हिक़ारत लगाएं भी दिल से ज़मीं…

0 Comments

चिड़िया के बच्चे

मौसमी चंद्रा पटना(बिहार) ************************************************************************ उफ्फ! फ़िर तिनके...परेशान कर रखा है इन चिड़ियों ने...। उमा एक हाथ में झाडू उठाये बड़बड़ाये जा रही थी। मैंने कमरे से ही आवाज लगायी-"क्या हो…

0 Comments

नारी दहन

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’ भंगवा(उत्तरप्रदेश) **************************************************************** एक महिला, घेरे चार दरिंदे सहायता के नाम पर बलात्कार, उभरी होगीं अनगिनत चीखें, मर्माहत पुकार... लेकिन दरिंदों के समक्ष सब अप्रभावी बेकार, अमानवीयता का…

0 Comments

लोकतंत्र है घायल

अमल श्रीवास्तव  बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ********************************************************************* शासन है पंगु आज, लोकतंत्र घायल है वासना में लुप्त हुई, चेतना हमारी है। लूट,पाट,मार,काट, मची सारे देश में है आम जिंदगी का, एक-एक पल भारी…

0 Comments