आधुनिक जीवन में प्रेम का महत्व

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* जो अन्तर जड़ और चेतन में है,वही फर्क प्रेम और प्रेमविहीनता में है। प्रेमरहित मानव पाषाण तुल्य है। एक बात और..प्रेम तो पाषाण को भी प्राणवान बना देता है। कई बार पहाड़ों पर बनी पत्थरों की आकृति जो उभरती है तो लगता है कि पत्थर भी मुहब्बत करते हैं। … Read more

दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर…

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* मो.रफी पुण्यतिथि विशेष-३१ जुलाई जीवन में हर इंसान के सामने कुछ ऐसे लम्हे आते हैं,जिन्हें भुनाकर वह लोकप्रियता के शीर्ष पर आ जाता है तो कभी ऐसे ही मौकों से विमुख हो पतन की और अग्रसर हो जाता है। यही स्वर सम्राट मोहम्मद रफी पर भी लागू होता है। … Read more

पाशविकता है कलुषता

छगन लाल गर्ग “विज्ञ” आबू रोड (राजस्थान) **************************************************************************** कलुषता का शाब्दिक अर्थ है अपवित्रताl इस अपवित्रता या कलुषता का संबंध बाह्य व्यक्तित्व की शारीरिक बनावट या कुरूपता की देहावस्था से नहीं है,इसका संबंध बुरे-भले कृत्यों की आवरण कथा में घनीभूत और रहस्यमयी हो चुका हैl जीवन के अनेक क्षेत्रों में कलुषता परिमार्जित होकर श्रेष्ठता का … Read more

विचार तो वेदवाणी

पंकज त्रिवेदी सुरेन्द्रनगर(गुजरात) *************************************************************************** पहले प्रहार की कॉलबेल पुकारते मुर्गे की आवाज़ से इंसान जाग जाता है। क्या जागने की यह प्रक्रिया सही अर्थ में होती है ? ईश्वर ने दिन-रात क्यों बनाए हैं ? दिनभर दौड़-धूप करके,मज़दूरी-मेहनत करके परिवार को पालने-पोसने के लिए ही ? और रात थके हुए इंसान के शरीर को आराम … Read more

अप्पू

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* सुबह-सुबह किसी के दरवाज़ा खटखटाने से मेरी नींद खुल गई। चारों तरफ जंगल,यहाँ कौन मुझसे मिलने आया होगा। आज तो हरि काका भी छुट्टी पर है,चलो देखते हैं,सोचकर आँखें मलता हुआ मैं दरवाजे की ओर बढ़ा। खिड़की से बाहर देखा तो चौंक गया,अरे ये तो छोटा-सा हाथी का बच्चा है। … Read more

आलोचना की प्रासंगिकता

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** आलोचना,समीक्षा या समालोचना का एक ही आशय है,समुचित तरीके से देखना जिसके लिए अंग्रेजी में ‘क्रिटिसिज़्म’ शब्द का प्रयोग होता है। साहित्य में इसकी शुरुआत रीतिकाल में हो गई थी,किन्तु सही मायने में भारतेन्दु काल में यह विकसित हुई। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का इसमें महती योगदान है जिसको रामचन्द्र … Read more

आँचल का पहला फूल

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  *********************************************************************************- माँ का आँचल और आँचल का पहला फूल नारी को सम्पूर्ण नारीत्व का भान कराता है। माँ बनना नारी की सम्पूर्णता है। मातृत्व का आभास ही तन,मन और जीवन में उल्लास की सृष्टि करता है। ये एक ऐसा अहसास है,जिस अहसास को महसूस करने के लिये एक माँ पूरा … Read more

तुलसीदास के शब्दों में गुरु महिमा

संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश)  ****************************************************** गुरु पूर्णिमा १६ जुलाई विशेष………… भारतीय वांग्मय में गुरु को इस भौतिक संसार और परमात्म तत्व के बीच का सेतु कहा गया है। सनातन अवघारणा के अनुसार इस संसार में मनुष्य को जन्म भले ही माता-पिता देते हैं,लेकिन मनुष्य जीवन का सही अर्थ गुरु कृपा से ही प्राप्त होता है। … Read more

सफलता के लिए श्रम-संघर्ष के साथ भाग्य भी जरुरी

संदीप सृजन उज्जैन (मध्यप्रदेश)  ****************************************************** श्रम आपको उस तरफ ले जाता है,जिधर आपका लक्ष्य है,लेकिन भाग्य साथ हो तो लक्ष्य या उससे ज्यादा मिल पाता है। यदि भाग्य में नहीं है,तो लक्ष्य पास होने के बावजूद सामने से निकल जाता है। सफलता दिखती है, मिलती नहीं। बिलकुल यही स्थिति भारत की इस बार के क्रिकेट … Read more

भ्रष्टाचार की सफाई का संकल्प

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का भ्रष्टाचार पर सशक्त वार भ्रष्टाचार और पेशेवर कदाचार के आरोप में लिप्त अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई की दस्तक एक नई भोर का आगाज है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर लगातार प्रहार के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के संकल्प की सराहना की जानी चाहिए। बुलंदशहर … Read more