तुलसीदास का भारतीय समाज और जीवन दर्शन में महत्व

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’  गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) *********************************************************** द्वापर का अवसान, कलयुग का प्रारम्भ सत्य सनातन संस्कृत पर, पल प्रहर का काल। आस्था के विश्वास का होने लगा हरास, काल की दस्तक…

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गुणी है अतिशय तुलसी

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** तुलसी अदरक डाल के, काढ़ा बनता खास। सर्दी रहती दूर ही, मिटती कंठ खरांस॥ मिटती कंठ खरांस, शीत भी डर जाती है। और साँस में…

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अर्थ शेष

डॉ.सोना सिंह  इंदौर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************* मेरी पंक्तियों पर हँसने वाले,  मेरे शब्दों पर तंज कसने वाले निकालते हैं त्रुटियां, नया नहीं है,अर्थ नहीं है कविता में तुम्हारी। मेरा प्रतिप्रश्न रहता है,…

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नारी की कहानी

गरिमा पंत  लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************** किस बात की पीड़ा है, किस बात का डर है क्यों घबराती हो छींटाकशी से, ये तुम्हें सौगातें मिली हैं। चरित्र और मर्यादा का ढोंग, हमें…

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माटी प्रेम

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कहो बहारों से आयीं हैं तो ठहर जाएंं, नजारे और वो फिजाएं चमन में बिखराएं। कहो बहारों से...ll है मेरे देश की माटी…

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हे दयामय रसराज

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ हे प्याज,हे रस सागर, विख्यात हैं आप भूमण्डल में जिनको मिला है स्वाद वही जाने- मूल्य आपका रतनों से परे। अति उज्ज्वल वर्ण है…

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जागते रहो!

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’ मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* "चौकीदार चाचा नमस्ते,कैसे हो ?" "अरे,बिटिया कब आए ससुराल से ? (थोड़ा रुक कर),सब बढ़िया है तुम्हारे परिवार में ?" "हाँ चाचा सब बढ़िया…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य अध्याय-१७.............. देख पिता को इतना चिन्तित, पुन: प्रभाती ने मुँह खोला क्यों हो बैठे मौन पिताश्री, क्या मैंने कुछ अनुचित बोला। तूने नहीं किया…

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रुकती ग़म की…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** रुकती ग़म की कभी न धारा है, इस नदी का नहीं किनारा है। धन की खातिर ज़मीर को बेचूँ, यह तो बिल्कुल नहीं गँवारा…

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क्यों बदल जाता है आदमी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* ऐ नर ये तेरी हिमाकत है, तू जो चाहे सो करता है डर नहीं है अपनी करनी का, बेमौत तभी तो मरता है। तू…

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