यह कैसा है परिवर्तन

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* यह कैसा है परिवर्तन, यह कैसा जग का नर्तन जहाँ नित नारी मिटती, होता नित नारी मर्दन। कब तक शोर मचायेंगे, क्रूरता कैसे मिटायेंगे कैसे…

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मुझे भी जीने का हक

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* युगों-युगों से तुम कहते, देवी मान कभी हो पूजते माता सखी बहन प्रेयसी, कितने रुपों में मैं जीती। गर्भ में तुम्हें धारण कर,…

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राष्ट्र प्रेम…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ एक कामना- दिल में राष्ट्रप्रेम, की हो भावनाl    राष्ट्र ही शक्ति- देशहित मरना, राष्ट्र की भक्तिl    लुटाते जान- राष्ट्रप्रेम के लिए,…

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भारत की पहचान है हिंदी

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* जान,मान एवं शान है हिंदी। भारत की पहचान है हिंदी। अन्य भाषाऐं भी अच्छी हैं, पर उत्तम मिष्ठान है हिंदी। अति सरल…

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ये मोहब्बत नहीं…

संजय जैन  मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** ओल्ड करते थे जिन्हें हम प्यार, वो अब पराए हो गए। मोहब्बत के रिश्ते से, हम बहुत दूर हो गए। कितने स्वार्थी होते हैं वो लोग,…

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सच…चिड़िया रानी…

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ******************************************************************************************** दिन भी सूना, रात भी सूनी चुप! अकेली चिड़िया रानी। सजल नयन से, बाट जोहती रही सोचती चिड़िया रानी...l कितने संघर्षों से पाला, उन्हें खिलाया…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* 'आत्मजा' खंडकाव्य से अध्याय-१८.......... हुआ द्रवित मन,आँसू छलके, भाव विह्वल पितु लगे सोचने बेटी को भी समझ न पाये, लगे स्वयं को सहज कोसने। शिक्षा देकर…

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खुद को कुछ और सिखा डालूँ…

गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** बहुत की पन्नों पर लिखावट मैंने, अब सोचता हूँ... खुद को कुछ और सिखा डालूँl कुछ मेरे अंदर अब भी बाकी है- अहंकार,क्रोध,कामना,लोभ,दम्भ,द्वेष ... इन्हें संपूर्ण…

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कैसे हो मुस्कान ?

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** राम-किसन के देश का, कैसा बुरा हाल। युवक चल रहे शान से, टेढ़ी-मेढ़ी चाल॥ टेढ़ी-मेढ़ी चाल, नशे का लगा रोग है। घर का बुरा हाल,…

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समाज को जगाओ

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’ रावतसर(राजस्थान)  ********************************************************************************* समाज को जगाना है कुरीतियां भगाओ, दहेज के नाम पर यूँ बलि न चढ़ाओ। मारते हो कोख में ही अपनी बेटियों को, भ्रूण हत्या…

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